Har Ghadi Khud Se Anuradha Paudwal Song Download


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Song Lyrics
हर घड़ी खुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा
हर घड़ी खुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा
मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समंदर मेरा
हर घड़ी खुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा
किस से पूछूँ के कहाँ गुम हूँ
कईं बरसों से
किस से पूछूँ के कहाँ गुम हूँ
कईं बरसों से
हर जगह ढूंढता फिरता है मुझे घर मेरा
मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समंदर मेरा
हर घड़ी खुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा
मुद्दतें बीत गईं ख्वाब सुहाना दे ने
मुद्दतें बीत गईं ख्वाब सुहाना दे ने
जागता रहता है हर नींद में बिस्तर मेरा
मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समंदर मेरा
हर घड़ी खुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा
वो ही हसता हुआ चेहरा
वो ही रोता हुआ दिला
वो ही हसता हुआ चेहरा
वो ही रोता हुआ दिला
कोई मौसम हो बदलता
नही मंज़र मेरा
मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समंदर मेरा
हर घड़ी खुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा
किसको इलज़ाम लगाऊँ
किसे मुजरिम समझूँ
किसको इलज़ाम लगाऊँ
किसे मुजरिम समझूँ
मेरे हालात में शामिल है मुक़द्दर मेरा
मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समंदर मेरा
हर घड़ी खुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा